US Russia News: ट्रंप भारत पर रूसी तेल आयात पर भारी शुल्क लगाने की धमकी दे रहे हैं, वहीं आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका चुपचाप रूस से अरबों डॉलर का पैलेडियम, यूरेनियम और उर्वरक आयात करना जारी रखे हुए है. आइए जानते हैं पूरी जानकारी
America import from Russia: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत को मास्को से तेल आयात पर भारी शुल्क लगाने की धमकी दे रहे हैं, जबकि व्यापार आंकड़े बताते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका रूस से चुनिंदा लेकिन महत्वपूर्ण आयात जारी रखे हुए है. यह बड़ी बात है क्योंकि रूस को वाशिंगटन 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा है.
हाल ही में, ट्रंप ने कई ऑनलाइन बयानों में भारत पर भारी छूट पर रूसी तेल खरीदने और उसे दोबारा बेचकर मुनाफा कमाने का आरोप लगाया.
उन्होंने अमेरिका को भारतीय निर्यात पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी, यहां तक कि 25 प्रतिशत शुल्क लगाने और अतिरिक्त जुर्माने का भी प्रस्ताव रखा. भारत ने इस सार्वजनिक आलोचना पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
विदेश मंत्रालय (MEA) के एक बयान के अनुसार, भारत ने रूस से तेल खरीदना तभी शुरू किया जब उसके पारंपरिक ऊर्जा आपूर्तिकर्ताओं ने 2022 के बाद उत्पादन को यूरोपीय बाजारों में ट्रांसफर कर दिया.
स्वयं रूस के साथ व्यापार में लिप्त US
बयान में कहा गया है, ‘उस समय संयुक्त राज्य अमेरिका ने वैश्विक ऊर्जा बाजारों की स्थिरता को मजबूत करने के लिए भारत द्वारा इस तरह के आयात को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया था.’ ‘साथ ही यह उजागर होता है कि भारत की आलोचना करने वाले देश स्वयं रूस के साथ व्यापार में लिप्त हैं. हमारे मामले के विपरीत, ऐसा व्यापार कोई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बाध्यता भी नहीं है.’
भारत ने बार-बार रूस के साथ अपने ऊर्जा व्यापार को अपने घरेलू उपभोक्ताओं के लिए स्थिर और किफायती ऊर्जा लागत बनाए रखने के लिए जरूरी बताया है.
भारत के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में CNBC को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘अगर लोगों या देशों ने उस समय तेल खरीदना बंद कर दिया होता, तो तेल की कीमत 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाती. यह एक ऐसी स्थिति थी जिसमें हमें, हमारे अमेरिकी मित्रों सहित, सलाह दी गई थी कि कृपया रूसी तेल खरीदें, लेकिन मूल्य सीमा के भीतर.’
यहां तक कि भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत एरिक गार्सेटी ने भी पिछले साल एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था कि हम चाहते थे कि कोई रूसी तेल खरीदे और इस बात को स्वीकार किया कि वाशिंगटन पहले भी वैश्विक बाजारों को स्थिर करने के लिए भारतीय तेल खरीद को प्रोत्साहित करता रहा है.
भारत सरकार ने प्रतिबंधों और राजनीतिक बयानबाजी के बावजूद रूस और अमेरिका के साथ-साथ यूरोपीय संघ के बीच जारी व्यापारिक संबंधों पर जोर दिया.
आधिकारिक आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि यूरोप और अमेरिका ने पिछले कुछ वर्षों में रूस से उच्च-प्राथमिकता वाली वस्तुओं का चुनिंदा आयात जारी रखा है.
यूरोपीय संघ-रूस व्यापार
रूस के साथ यूरोपीय संघ का व्यापार अभी भी काफी बड़ा है. 2024 में रूस के साथ यूरोपीय संघ का वस्तु व्यापार €67.5 बिलियन ($78.1 बिलियन) था, और 2023 में सेवाओं का व्यापार €17.2 बिलियन का था.
रूस से यूरोपीय LNG आयात 2024 में रिकॉर्ड 16.5 मिलियन टन तक पहुंच गया, जो 2022 के 15.21 मिलियन टन के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया.
रूस के साथ यूरोप के वाणिज्यिक संबंध लिक्विड प्राकृतिक गैस, उर्वरक, खनन उत्पाद, औद्योगिक रसायन, लोहा और इस्पात, और परिवहन उपकरण सहित कई क्षेत्रों को कवर करते हैं.
अमेरिका-रूस व्यापार
संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूस से आयात भी जारी रखा, विशेष रूप से परमाणु ईंधन, कीमती धातुओं और कृषि उत्पादों जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में. 2024 में रूस से अमेरिकी आयात लगभग 3 अरब डॉलर रहा, जो 2021 के 36 अरब डॉलर से कम है, लेकिन प्रमुख वस्तुओं का आयात जारी है.
अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आयोग के अनुसार:
उर्वरक: 2024 में 1.1 अरब डॉलर.
पैलेडियम: 87.8 करोड़ डॉलर.
यूरेनियम: 62.4 करोड़ डॉलर.
विमान इंजन के पुर्जे: 7.5 करोड़ डॉलर.
दूसरी ओर सर्विस के व्यापार में लचीलापन दिखा. 2024 में रूस को अमेरिकी सेवाओं का निर्यात 1.3 अरब डॉलर रहा, जबकि आयात 38.4 करोड़ डॉलर रहा, जिसके परिणामस्वरूप सेवाओं का व्यापार अधिशेष 87.3 करोड़ डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 43 प्रतिशत अधिक है.
जनवरी से मई 2025 तक रूस से अमेरिका का आयात साल-दर-साल 23 प्रतिशत बढ़कर 2.1 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें पैलेडियम आयात 37 प्रतिशत, यूरेनियम 28 प्रतिशत और उर्वरक 21 प्रतिशत बढ़ा.
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