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इंदौर इन दिनों चूहों के जबरदस्त आतंक से जूझ रहा है. शहर का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल एमवाय अस्पताल भी इससे अछूता नहीं रहा. सितंबर महीने में अस्पताल की एनआईसीयू नवजात गहन चिकित्सा इकाई में चूहों द्वारा दो मासूम बच्चों को कुतरने की घटना सामने आई थी. कथित तौर पर दोनों बच्चों की जान चली गई. इस घटना ने स्वास्थ्य सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए.
अस्पताल प्रशासन ने मामले में लापरवाही मानते हुए कुछ कर्मचारियों और पेस्ट कंट्रोल एजेंसी पर कार्रवाई की, लेकिन परिजनों का कहना है कि बच्चों की मौत का मुख्य कारण चूहे ही थे. इस घटना के बाद भी हालात पूरी तरह नहीं सुधरे.
सरकारी अस्पताल में चूहों ने दो मासूम बच्चों को कुतरा
चूहों का आतंक सिर्फ अस्पताल तक सीमित नहीं है. शहर के व्यस्त शास्त्री ब्रिज पर हाल ही में करीब पांच फीट गहरा गड्ढा हो गया. जांच में सामने आया कि पुल के नीचे चूहों द्वारा बनाए गए दर्जनों बिलों से नींव कमजोर हो गई थी, जिससे यह खतरा पैदा हुआ.
इसी तरह रीगल चौराहा पर स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा की रोटरी में भी चूहों ने एक हजार से अधिक बिल खोद दिए हैं. इससे जमीन खोखली हो गई है और यह शहर की ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण संरचनाओं के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है.
एंटी रेबीज डोज लगवाने वाले लोगों की भीड़ में इजाफा
चूहों के काटने के मामले भी तेजी से बढ़े हैं. एंटी रेबीज डोज के लिए हुकुमचंद पॉली क्लिनिक में रोज लोगों की भीड़ लग रही है. साल 2025 के ग्यारह महीनों में 1280 से ज्यादा लोगों को चूहों ने काटा है. अकेले जुलाई महीने में 278 मामले सामने आए, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है.
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