अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भले ही भारत को डेड इकोनॉमी कहा हो, लेकिन उनकी कंपनी, ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन, के लिए भारत पिछले 10 सालों में अमेरिका के बाहर सबसे बड़ा बाजार बन गया है. ट्रंप भारत को टैरिफ को लेकर धमकी दे रहे हैं, लेकिन उनकी खुद की कंपनी ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन ने भारत में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स से पिछले एक दशक में लगभग 175 करोड़ रुपये (लगभग 21 मिलियन डॉलर) की कमाई की है.
2024 में, कंपनी ने लाइसेंसिंग और डेवलपमेंट फीस के माध्यम से 12 मिलियन डॉलर (लगभग 100 करोड़ रुपये) कमाए. यह कमाई मुख्य रूप से उनके ब्रांड नाम को लाइसेंस देने से हुई, क्योंकि ट्रंप ऑर्गनाइजेशन भारत में सीधे निर्माण या वित्तीय निवेश नहीं करती. इसके बजाय, यह भारतीय डेवलपर्स जैसे रिलायंस, लोढ़ा ग्रुप, एम3एम, पंचशील, यूनिमार्क, और ट्रिबेका डेवलपर्स के साथ साझेदारी करती है, जो ट्रंप ब्रांड का उपयोग करके लग्जरी प्रोजेक्ट्स विकसित करते हैं. कंपनी प्रोजेक्ट की बिक्री का 3-5% हिस्सा या अपफ्रंट लाइसेंसिंग फीस लेती है.
पिछले आठ महीनों में, ट्रंप ब्रांड ने भारत में तेजी से विस्तार किया है. राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने के तुरंत बाद, ट्रंप ऑर्गनाइजेशन ने अपने भारतीय साझेदार ट्रिबेका डेवलपर्स के साथ मिलकर गुरुग्राम, पुणे, हैदराबाद, मुंबई, नोएडा और बेंगलुरु में कम से कम छह प्रोजेक्ट की घोषणा की थी, जो कुल मिलाकर 80 लाख वर्ग फीट की रियल एस्टेट प्रोजेक्ट को जोड़ती हैं. हालांकि, ट्रंप वास्तव में भारत में बड़ा निवेश नहीं करते हैं, उनकी कंपनी ज्यादातर अपना नाम लाइसेंस देती है और ब्रांड हाइप का फायदा उठाती है. इसका मतलब है कि ट्रंप की कंपनी भारत में बड़े निवेश के बजाय अपने ब्रांड नाम का उपयोग करके रॉयल्टी कमाने पर ध्यान केंद्रित करती है.
ट्रंप ऑर्गनाइजेशन के इन प्रोजेक्ट्स से कमाई का अभी खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन जानकारों का कहना है कि भारत के बड़े-बड़े बिल्डरों के साथ उसकी पार्टनरशिप न सिर्फ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के सबसे मुनाफेवाले बाजारों में घुसपैठ करने का मौका देती है, बल्कि बिना किसी फाइनेंशियल रिस्क के लगातार कमाई का जरिया भी बनाती है.
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कुछ महीने पहले ही में गुरुग्राम के सेक्टर 69 में लॉन्च हुए ट्रंप रेजिडेंस टावर ने पहले ही दिन 3,250 करोड़ रुपये की बिक्री दर्ज की थी. इस प्रोजेक्ट में 298 रेजिडेंशियल यूनिट्स बिके थे, जिनमें 125 करोड़ रुपये के अल्ट्रा-प्रीमियम पेंटहाउस भी शामिल थे. यहां फ्लैट्स की कीमत 8 करोड़ रुपये से शुरू थी, और यह प्रोजेक्ट लॉन्च के दिन ही सोल्ड आउट हो गया था.
भारत में चार ट्रंप टावर्स हैं, मुंबई, पुणे, गुरुग्राम और कोलकाता में, जो करीब 30 लाख वर्ग फीट में फैले हैं. इसके अलावा, नोएडा, हैदराबाद, बेंगलुरु वगैरह में 80 लाख वर्ग फीट के प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है, यानी कुल मिलाकर 1.1 करोड़ वर्ग फीट. मौजूदा टावर्स की कीमत लगभग 7,500 करोड़ रुपये (900 मिलियन डॉलर) आंकी गई है. आने वाले प्रोजेक्ट्स की वैल्यू करीब 15,000 करोड़ रुपये (1.8 बिलियन डॉलर) है. इस तरह, कुल मिलाकर ये 22,500 करोड़ रुपये (2.7 बिलियन डॉलर) की भारी-भरकम रकम बनती है.
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