दिल्ली में बस सेवाओं का पूरा संचालन डीटीसी के पास होगा। दिल्ली कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक में बस सेवाओं का संचालन डिम्ट्स (दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी मॉडल ट्रांजिट सिस्टम) से हटाकर डीटीसी को सौंपने को मंजूरी दी गई। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने सचिवालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि यह व्यवस्था अप्रैल से लागू होगी।
सिरसा ने बताया कि कैबिनेट में पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े कई फैसलों को मंजूरी दी गई। डीटीसी को बसें सौंपने के फैसले से बस सेवाओं की गुणवत्ता बेहतर होगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली में हवा और पानी को साफ करने के लिए सरकार गंभीरता से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि ग्रैप के प्रावधान हटने के बाद भी नो पीयूसी-नो फ्यूल का अभियान जारी रहेगा। यानी बिना वैध प्रदूषण प्रमाणपत्र के पेट्रोल पंप पर ईंधन नहीं दिया जाएगा। वहीं, पर्यावरण मंत्री ने कहा कि 12 पीयूसी केंद्रों में गड़बड़ियां पाई गई हैं, इनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि सरकार मजबूत सार्वजनिक परिवहन, जल संरक्षण और शहरी विकास को प्राथमिकता दे रही है। ई-वेस्ट ईको पार्क जैसी परियोजनाएं जहां पर्यावरण संरक्षण और हरित रोजगार को बढ़ावा देंगी, वहीं डीटीसी बसों के बेहतर संचालन से लोगों को सुरक्षित और सुगम परिवहन सुविधा मिलेगी।
कैबिनेट बैठक में होलंबी कलां में ई-वेस्ट पार्क को मंजूरी दी गई। सिरसा ने बताया कि 11.5 एकड़ में बनने वाला यह ई-वेस्ट पार्क सर्कुलर मॉडल पर आधारित होगा। यह पहला ऐसा ई-वेस्ट पार्क होगा, जहां पानी-हवा दोनों को ही प्रदूषित होने से बचाया जाएगा।
सिरसा ने कहा कि डीपीसीसी ने प्रदूषण फैलाने वाली 411 औद्योगिक इकाइयों को बंद करने के नोटिस दिए हैं। एमसीडी ने भी 400 इकाइयों को सील किया है। कुल मिलाकर 800 से ज्यादा उद्यमों पर कार्रवाई हुई है। वहीं, चार नए ऑटोमेटेड वाहन परीक्षण केंद्र जल्द चालू होंगे। ऊंची इमारतों पर धूल नियंत्रण के लिए मिस्ट आधारित सिस्टम लगाने की अनुमति दी गई है। सिरसा ने कहा कि फैक्टरी हो या पेट्रोल पंप कोई भी जवाबदेही से नहीं बच पाएगा।
सिरसा ने बताया कि कैबिनेट ने दिल्ली के जलाशयों के पुनर्जीवन के लिए 100 करोड़ की राशि को मंजूरी दी है। दिल्ली में कुल एक हजार जलाशय हैं। इनमें से लगभग 160 जलाशय दिल्ली सरकार के अधीन हैं। सिरसा ने कहा कि दिल्ली के जलाशयों को फिर से जीवित करना प्रदूषण नियंत्रण में बड़ी भूमिका निभाएगा। जलाशयों के पुनर्जीवन के लिए डीपीसीसी द्वारा पहले 19 करोड़ दिए गए थे। अब अतिरिक्त सौ करोड़ से सभी चिह्नित जलाशयों को सौ फीसदी पुनर्जीवित करने का लक्ष्य रखा गया है।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली के 300 किलोमीटर के दायरे में आने वाले कोयला आधारित छह बिजली संयंत्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। थर्मल पावर प्लांट में बायोमास को-फायरिंग के अनिवार्य नियमों का पालन नहीं करने के आरोप में इन पर 61 करोड़ रुपये से ज्यादा की पर्यावरणीय क्षति का जुर्माना लगाया जाएगा। आयोग ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए नियमों के अनुपालन स्थिति की समीक्षा के बाद यह कार्रवाई की है। जिन थर्मल पावर प्लांट को नोटिस जारी किया गया है उसमें पंजाब के तलवंडी और गुरु गोबिंद थर्मल पावर प्लांट और हरियाणा के पानीपत, यमुनानगर, हिसार तथा उत्तर प्रदेश के हरदुआगंज स्थित पावर प्लांट शामिल हैं। आयोग ने 15 दिन में संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर वायु गुणवत्ता नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
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