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सुप्रीम कोर्ट ने वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए एक अंतरिम कमेटी गठित की है. इस कमेटी की अध्यक्षता इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज, जस्टिस अशोक कुमार करेंगे.
जब तक इलाहाबाद हाईकोर्ट, यूपी सरकार के अध्यादेश पर अपना फैसला नहीं सुनाता, तब तक यह कमेटी मंदिर का रोजमर्रा का कामकाज संभालेगी. इस दौरान यूपी सरकार अपने अध्यादेश के तहत नया ट्रस्ट नहीं बना पाएगी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अध्यादेश के इस हिस्से पर रोक लगा दी है.
मानदेय और सुविधाएं
कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस अशोक कुमार को हर महीने 2 लाख रुपये मानदेय मिलेगा, जो मंदिर के बैंक खातों से दिया जाएगा.
कोर्ट की स्पष्ट हिदायत
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ताओं को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने के लिए कहा.
कोर्ट ने यह भी तय किया कि कमेटी, मंदिर और उसके आसपास के विकास की योजना बनाएगी और जरूरी जमीन निजी बातचीत से खरीदी जा सकती है. अगर बातचीत सफल न हो तो राज्य सरकार कानून के मुताबिक जमीन अधिग्रहण कर सकेगी.
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गोस्वामियों के अधिकार
कमेटी में गोस्वामियों के चार प्रतिनिधियों के अलावा किसी भी अन्य गोस्वामी या सेवायत को मंदिर के अहम कामों में दखल की अनुमति नहीं होगी. बाकी गोस्वामी केवल पूजा, सेवा और प्रसाद चढ़ाने का अधिकार रखेंगे.
कमेटी के सदस्य
1. अध्यक्ष – जस्टिस अशोक कुमार (रिटायर्ड जज, इलाहाबाद हाईकोर्ट)
2. मुकेश मिश्रा (रिटायर्ड जिला एवं सत्र न्यायाधीश, ₹1 लाख प्रतिमाह मानदेय)
3. मथुरा के जिला एवं सत्र न्यायाधीश या सिविल जज
4. जिलाधिकारी, मथुरा
5. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, मथुरा
6. नगर आयुक्त
7. मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष
8. एक प्रसिद्ध वास्तुकार
9. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का प्रतिनिधि
10. दोनों गोस्वामी समूहों से दो-दो सदस्य
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