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बांग्लादेश में इंक़लाब मंच के नेता शरीफ़ उस्मान हादी को शनिवार को ढाका विश्वविद्यालय में देश के राष्ट्र कवि काज़ी नज़रुल इस्लाम की क़ब्र के पास दफ़नाया गया.
जनाज़े की नमाज़ के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस समेत राजनीतिक दलों के नेता और हादी के समर्थकों की भारी भीड़ जुटी. हादी का शव शुक्रवार शाम सिंगापुर से ढाका लाया गया था.
इंक़लाब मंच ने हादी के हत्यारों को पकड़ने के लिए सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है.
हादी की अंत्येष्टि के दिन यूरोपीय देशों के दूतावासों ने शोक संवेदना जारी की और जर्मनी के दूतावास ने झंडा झुका दिया.
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दरअसल, मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी.
हालांकि उस्मान हादी को लेकर ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
बीते गुरुवार को हुई उनकी मौत के बाद से बांग्लादेश और भारत के रिश्तों में और तनाव आ गया है. क्योंकि ये अफ़वाह उड़ी कि हादी को गोली मारने वाले लोग भारत फरार हो गए हैं. हादी पर हमले के एक दिन बाद ही बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने मतदान के शेड्यूल की घोषणा की थी.
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बांग्लादेश में 12 फ़रवरी को आम चुनाव है.
पिछले हफ़्ते शुक्रवार को ढाका में उस्मान हादी को अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी, जिसमें वो बुरी तरह घायल हो गए थे.
हादी की मौत की ख़बर के बाद भड़की हिंसा में भारतीय उच्चायोग को भी निशाना बनाया गया था.
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मशहूर हस्तियों की कहानी पूरी तसल्ली और इत्मीनान से इरफ़ान के साथ.
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अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी समेत यूरोप के कई देशों ने हादी की मौत पर शोक व्यक्त किया और बांग्लादेश के लोगों के साथ एकजुटता जताई.
ढाका में जर्मन दूतावास ने राष्ट्रीय शोक के मौक़े पर शनिवार को झंडा झुका दिया.
दूतावास ने एक्स पर लिखा, "शरीफ़ उस्मान हादी के निधन पर राष्ट्रीय शोक दिवस के दौरान बांग्लादेश और उसके लोगों के साथ पूरी एकजुटता प्रदर्शित करते हुए, आज फ़्रैंको-जर्मन दूतावास में झंडे को आधा झुका दिया गया है."
ढाका में ब्रिटिश उच्चायोग ने एक्स पर लिखा, "युवा नेता शरीफ़ उस्मान हादी के निधन से हम दुखी हैं. इस कठिन समय में हम उनके परिवार, मित्रों और समर्थकों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं."
अमेरिकी दूतावास ने 'हादी के परिवार, उनके दोस्तों और उनके समर्थकों के प्रति गहरी संवेदना' व्यक्त की है.
हालांकि भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने अमेरिकी दूतावास की पोस्ट को साझा करते हुए हैरानी जताई है.
उन्होंने लिखा, "हादी भारत के मुखर आलोचक थे. उनकी मृत्यु पर उनके इंक़लाब मंच ने कहा था- भारतीय वर्चस्व के संघर्ष में अल्लाह ने महान क्रांतिकारी उस्मान हादी को शहीद के रूप में स्वीकार किया है." इस पोस्ट से स्पष्ट है कि अमेरिका का इस खुले तौर पर भारत-विरोधी समूह में निहित स्वार्थ था. दूतावास उनके समर्थकों के प्रति भी गहरी संवेदना व्यक्त कर रहा है."
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पिछले साल पांच अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की सरकार गिरने और उनके भारत में शरण लेने के बाद से ही दोनों देशों के बीच रिश्तों में कड़वाहट थी.
हालांकि बीते कुछ दिनों से दोनों देशों के बीच संबंधों को पटरी पर लाने की कोशिशें हो रही थीं. इसी साल अप्रैल में थाईलैंड में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मोहम्मद यूनुस के बीच मुलाक़ात भी हुई थी.
भारत की ओर से ये उम्मीद जताई जा रही थी कि बांग्लादेश में आगामी फ़रवरी में होने जा रहे आम चुनावों के बाद जो भी सरकार आएगी, उससे रिश्ते पटरी पर लाने में मदद मिलेगी.
लेकिन कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उस्मान हादी की मौत के बाद अब ये निश्चित नहीं है कि अगली सरकार का रुख़ क्या होगा.
दक्षिण एशिया की राजनीति पर गहरी नज़र रखने वाले विश्लेषक माइकल कुगलमैन ने एक्स पर लिखा, "यह मानने के पर्याप्त कारण थे कि अगर कोई अप्रत्याशित स्थिति (जैसे कि जमात के नेतृत्व वाली सरकार) न बने तो बांग्लादेश-भारत के बीच तनाव बांग्लादेश चुनाव के बाद कम हो सकता है. लेकिन हादी की हत्या के बाद के माहौल में, यह साफ़ नहीं है कि अगली बांग्लादेश सरकार के लिए दिल्ली से संपर्क साधना राजनीतिक रूप से सुरक्षित माना जाएगा या नहीं."
उन्होंने लिखा, "शरीफ़ उस्मान हादी की हत्या से पहले ही बांग्लादेश में हिंसा का ख़तरा बढ़ रहा था. अशांति से निपटने में पुलिस की क्षमता को लेकर भी चिंताएं थीं…फ़रवरी में होने वाले चुनाव से पहले इन दो तनावपूर्ण महीनों के दौरान डॉ. यूनुस को सत्ता में रहते हुए अपनी सबसे बड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ेगा."
हादी की मौत की ख़बर के बाद गुरुवार को ढाका समेत कई जगहों पर भड़की हिंसा में पहली बार मीडिया को बहुत गंभीर क्षति पहुंचाने के मक़सद से निशाना बनाया गया.
दो अख़बार प्रथम आलो और द डेली स्टार के दफ़्तरों को आग के हवाले कर दिया गया जबकि उस समय पूरा स्टाफ़ मौजूद थे और उनकी जान किसी तरह से बची.
ऐसे में बांग्लादेश के अंदर ही अंतरिम सरकार और इसके प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस पर क़ानून व्यवस्था को संभालने और हालात के बारे में अनुमान लगाने में विफल रहने के आरोप लग रहे हैं.
इंक़लाब मंच ने उस्मान हादी के हत्यारों को पकड़ने के लिए सरकार को 24 घंटे का अल्टिमेटम दिया है.
बीबीसी बांग्ला के अनुसार, उस्मान हादी के अंतिम संस्कार के दौरान हुई सभा मे इंकलाब मंच के सचिव अब्दुल्ला अल जाबेर ने सरकार से पूछा, "आपने उस्मान हादी के हत्यारों को पकड़ने के लिए क्या किया?"
उन्होंने कहा कि 'अगर इस मुद्दे को सामने नहीं लाया गया तो गृह मामलों के सलाहकार मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी और मुख्य सलाहकार के विशेष सहायक ख़ुदा बख्श चौधरी को 24 घंटे के भीतर इस्तीफ़ा देना होगा.'
इस दौरान उस्मान हादी के भाई अबू बक्र सिद्दीक़ी ने शनिवार को अंतिम संस्कार से पहले हुई प्रार्थना सभा के दौरान पूछा, "राजधानी में दिनदहाड़े उस्मान हादी को गोली मारने के बाद उनके हत्यारे कैसे फरार हो गए?"
उन्होंने कहा, "सात-आठ दिन बीत जाने के बाद भी हत्यारों को पकड़ना क्यों संभव नहीं हो पाया है? उन्होंने यह भी मांग की कि उस्मान हादी के हत्यारों पर जल्द से जल्द मुक़दमा चलाया जाए."
उन्होंने कहा, "शरीफ़ उस्मान हादी मेरे भाइयों में सबसे छोटा था और आज हमें उसका शव ले जाना पड़ रहा है."
उस्मान हादी का नमाज-ए-जनाज़ा संसद के साउथ प्लाज़ा में हुआ, जहां भारी संख्या में लोग पहुंचे थे.
मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, सलाहकार परिषद के सदस्यों, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं सहित बड़ी संख्या में लोग शनिवार को दोपहर आयोजित उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए.
राजनीतिक दलों में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), जमात-ए-इस्लामी और नेशनल सिटिजंस पार्टी (एनसीपी) के नेता भी शामिल थे.
हालांकि इंक़लाब मंच की मांग को लेकर मोहम्मद यूनुस ने कुछ नहीं कहा.
लेकिन अंतिम संस्कार की प्रार्थना से पहले उन्होंने हादी के समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि उस्मान हादी बांग्लादेशियों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे.
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बांग्लादेश के अख़बार दैनिक ट्रिब्यून के अनुसार, मोहम्मद यूनुस ने कहा, "हादी, आप कभी भुलाए नहीं जाएंगे. कोई भी आपको भूल नहीं पाएगा. पीढ़ियों तक आप हमारे साथ रहेंगे. आज हम यहां ये वादा करने आए हैं कि जिस चीज़े के लिए आप खड़े रहे, उसे हम पूरा करेंगे. सिर्फ़ हम नहीं बल्कि बांग्लादेश की जनता ये ज़िम्मेदारी लेगी."
उन्होंने यह भी बताया कि हादी चुनाव में भाग लेना चाहते थे और उन्होंने राजनीतिक भागीदारी के लिए एक नज़रिया साझा किया था, "उन्होंने हमें एक प्रक्रिया दिखाई. आइए हम सब मिलकर उस प्रक्रिया को अपनाएं."
उस्मान हादी आगामी आम चुनावों में ढाका-8 से संभावित उम्मीदवार थे और चुनाव में जनसंपर्क के दौरान ही पिछले हफ़्ते शुक्रवार, 12 दिसंबर को अज्ञात हमलावरों ने उन्होंने गोली मार दी थी.
गंभीर हालात में उन्हें ढाका मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था लेकिन तीन दिनों बाद उन्हें सिंगापुर में इलाज के लिए एयरलिफ़्ट कराया गया था.
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