नई दिल्ली: कहानी किसी हॉलीवुड फिल्म जैसी लगती है. एक ब्लैक होल, जो सब कुछ निगल जाता है. और एक तारा, जो उसकी पकड़ में आने के बाद भी दो-दो बार बच निकलता है. लेकिन ये कल्पना नहीं, हकीकत है. वैज्ञानिकों ने पहली बार ऐसा तारा देखा है जो एक सुपरमैसिव ब्लैक होल से दो बार टकराकर भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ. ये अविश्वसनीय खोज इजरायल की तेल अवीव यूनिवर्सिटी और इंटरनेशनल टीम के साइंटिस्ट्स ने की है. रिसर्च हाल ही में The Astrophysical Journal Letters में पब्लिश हुई है.
वही जगह, वैसा ही धमाका… दो बार
पहली बार 2020 में अंतरिक्ष के एक हिस्से में एक तेज ब्राइट फ्लेयर देखा गया. ये फ्लेयर तब बनता है जब कोई तारा ब्लैक होल के बहुत पास आ जाए और उसका मैटर ब्लैक होल में गिरने लगे. साइंटिस्ट्स ने इसे ‘Tidal Disruption Event’ यानी TDE कहा. लेकिन इसके दो साल बाद 2022 में उसी जगह से वैसा ही फ्लेयर दोबारा दिखा. इसे नाम दिया गया AT 2022dbl.
अब तक माना जाता था कि जब कोई तारा ब्लैक होल के इतने पास जाता है, तो उसका पूरा वजूद खत्म हो जाता है. लेकिन प्रोफेसर इअयर आर्कावी (Iair Arcavi) और उनकी टीम ने जो देखा, उसने सबको हैरान कर दिया. उन्होंने कहा, ‘तारा पूरी तरह नष्ट नहीं हुआ, वो दोबारा लौटा.’
तारा ब्लैक होल की परिक्रमा कर रहा है
ये तारा एक सुपरमैसिव ब्लैक होल के चारों ओर घूम रहा है. इसका ऑर्बिट 700 दिनों का है. हर बार जब ये तारा ब्लैक होल के पास आता है, उसका थोड़ा-थोड़ा हिस्सा खिंचकर ब्लैक होल में चला जाता है. लेकिन अब तक ये पूरी तरह खत्म नहीं हुआ.
इसका मतलब ये भी हो सकता है कि पिछले दस सालों से जिन फ्लेयर्स को हम पूरा तारा खत्म होने का सबूत मानते आए हैं, वो शायद गलत थे. हो सकता है तारे सिर्फ आंशिक रूप से तबाह हो रहे हों.
ब्लैक होल की दुनिया, जहां लाइट भी कैद हो जाती है
ब्लैक होल वो जगह है जहां ग्रैविटी इतनी ज्यादा होती है कि लाइट तक भाग नहीं सकती. ये सुपरमैसिव ब्लैक होल गैलेक्सी के सेंटर में होते हैं. हमारी मिल्की वे गैलेक्सी के बीच में भी एक है, जो सूरज से लाखों गुना भारी है.
जब कोई तारा इनके पास जाता है, तो ब्लैक होल का गुरुत्व उसे फाड़ देता है. तारा टूटता है और उसका मलबा ब्लैक होल की तरफ गिरने लगता है. इसी दौरान एक ज़बरदस्त फ्लेयर निकलता है. हम यहीं से ब्लैक होल की स्टडी करते हैं.
लेकिन अब तक जो थ्योरी थी, उसके हिसाब से ये फ्लेयर्स काफी ब्राइट और हॉट होने चाहिए थे. लेकिन रियल डेटा में ये फ्लेयर्स अक्सर डिम और ठंडे निकलते थे. यही गुत्थी अब जाकर सुलझने लगी है.
क्या ब्लैक होल को फिर से समझना पड़ेगा?
प्रोफेसर आर्कावी कहते हैं, ‘हमें अब इन फ्लेयर्स की व्याख्या नए तरीके से करनी होगी. हम सोचते थे कि तारा पूरी तरह खत्म हो जाता है. लेकिन हो सकता है वो वापस आता हो. और ये समझ हमें ब्लैक होल के नेचर के और करीब ले जाएगी.’
अब सवाल खड़े हो रहे हैं, ब्लैक होल बनते कैसे हैं? क्या ये आस-पास के तारों को धीरे-धीरे खत्म करते हैं या कोई लंबी कहानी है? और क्या तारे अपने अस्तित्व के लिए ब्लैक होल से गेम ऑफ चेस खेल रहे हैं?
अगला टर्न 2026 में?
साइंटिस्ट्स अब इंतजार कर रहे हैं 2026 का. जब तारा फिर से अपने ऑर्बिट में ब्लैक होल के पास आएगा. क्या वो फिर बच पाएगा? या इस बार ब्लैक होल पूरा काम तमाम कर देगा?