भारत बढ़ रहा दुनिया का भरोसा, 8 महीने में आया 5 लाख करोड़ का निवेश, सबसे ज्‍यादा किस सेक्‍टर को मिला? – News18 हिंदी

नई दिल्‍ली. भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था पर दुनिया का भरोसा और मजबूत होता जा रहा है. चालू वित्‍तवर्ष के हालिया आंकड़े बताते हैं कि शुरुआती 8 महीने में ही देश में करीब 5 लाख करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आ चुका है. यह पिछले साल की समान अविध के निवेश से करीब 17 फीसदी ज्‍यादा है. वित्‍तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में इकनॉमिक सर्वे पेश करते हुए आंकड़े सहित इसकी जानकारी दी है.
वित्‍तमंत्री ने संसद को बताया कि देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) चालू वित्तवर्ष में बढ़ा है. यह 2024-25 में अप्रैल-नंबवर के दौरान 17.2 प्रतिशत बढ़कर 55.6 अरब डॉलर (4.81 लाख करोड़ रुपये) हो गया. बीते वित्तवर्ष 2023-24 के पहले आठ महीने में यह 47.2 अरब डॉलर था. समीक्षा में कहा गया है कि महंगाई के दबाव, विकसित अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ती ब्याज दरों और वैश्विक स्तर पर तनाव जैसे कारणों से वैश्विक बाजारों में अल्पकालिक अस्थिरता है. इसके बावजूद भारत में एफडीआई के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण अनुकूल बना हुआ है.
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2 साल पहले के मुकाबले गिरावट
आर्थिक समीक्षा के अनुसार, ‘वित्तवर्ष 2024-25 के पहले आठ महीनों में एफडीआई प्रवाह में सुधार के संकेत हैं. हालांकि, पैसा स्वदेश भेजने/विनिवेश में वृद्धि के कारण अप्रैल-नवंबर, 2023 की तुलना में शुद्ध एफडीआई प्रवाह में कमी आई है.’ भारत में एफडीआई प्रवाह अप्रैल, 2000 से सितंबर, 2024 तक 1,000 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है. इससे एक सुरक्षित और महत्वपूर्ण वैश्विक निवेश गंतव्य के रूप में देश की स्थिति मजबूत होती दिख रही है.
किस सेक्‍टर में सबसे ज्‍यादा एफडीआई
समीक्षा में कहा गया है कि सेवा क्षेत्र ने सबसे ज्यादा एफडीआई आकर्षित किया. वित्तवर्ष 2024-25 की पहली छमाही में कुल पूंजी प्रवाह में 19.1 प्रतिशत सेवा क्षेत्र में आया. विदेशी निवेश आकर्षित करने वाले अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर (14.1 प्रतिशत), ट्रेडिंग (9.1 प्रतिशत), गैर-पारंपरिक ऊर्जा (7 प्रतिशत) और सीमेंट व जिप्सम उत्पाद (6.1 प्रतिशत) शामिल हैं. महंगाई के दबाव, विकसित अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ती ब्याज दरों और वैश्विक स्तर पर तनाव जैसे कारणों से वैश्विक बाजारों में अल्पकालिक अस्थिरता के बावजूद, भारत में एफडीआई के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण अनुकूल बना हुआ है.
भारत का बढ़ता बाजार सबसे अहम
इसमें कहा गया है कि भारत के मजबूत आर्थिक बुनियादी सिद्धांत, जारी संरचनात्मक सुधार और बढ़ता उपभोक्ता बाजार इसे विदेशी निवेश के लिए एक प्रमुख गंतव्य बनाता है. समीक्षा में देश में एफडीआई में गिरावट को लेकर चिंताओं को भी दूर किया गया है. सर्वे के विश्लेषण से पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर एफडीआई प्रवाह आर्थिक अनिश्चितता, भू-राजनीतिक तनाव और बढ़ती उधार लागत के कारण बाधित हुआ है. सकल एफडीआई प्रवाह में वृद्धि के साथ-साथ, निवेशकों के अपने देश में पैसा भेजने में भी वृद्धि हुई है. इसका कारण देश में मजबूत शेयर बाजार में अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को निवेश पर मिलने वाला अच्छा रिटर्न है, जो निवेशकों के विश्वास को दर्शाता है.

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