रक्षाबंधन पर्व पर लें प्रकृति की रक्षा करने का संकल्प – Hindustan

अतरौली, संवाददाता। भारत वर्ष में प्राचीन काल से ही पर्वों का विशेष महत्व रहा है। आधुनिक प्रगति में जहां हमारा देश नई बुलंदियों को छू रहा है वही अपनी प्राचीन मान्यताओं को भी बड़ी सहजता से संजोए हुए हैं। यद्यपि कुछ पर्वों के मनाने में आधुनिकता भी आ गई है लेकिन मूल तत्व से जुड़ाव नहीं टूटा है। ब्रह्म कुमारी ईश्वरी विश्व विद्यालय आश्रम अतरौली पर रक्षा संकल्प पर्व धूम धाम से मनाया गया जिस का शुभराम्भ इंस्पेक्टर क्राइम रवि चंद्रवाल ने दीप प्रजुलित कर किया बहन नैना और बहन ममता ने उपस्थित सभी लोगो को रक्षा सूत्र बांध कर सभी को प्रकृति और अपनी प्राचीन मनाताओं की रक्षा का संकल्प दिलाया ।

बहन नैना ने कहा रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है हम अपनी प्राचीन मान्यताओं को भी बड़ी सहजता से संजोए हुए हैं इस दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर बलि राजा के अभिमान को इसी दिन चकानाचूर किया था। इसलिए यह त्योहार ‘बलेव नाम से भी प्रसिद्ध है। कई राज्य में नारियल पूर्णिमा या श्रावणी के नाम से यह त्योहार विख्यात है। दूसरी मान्यता के अनुसार ऋषि-मुनियों के उपदेश की पूर्णाहुति इसी दिन होती थी। वे राजाओं के हाथों में रक्षासूत्र बाँधते थे। इसलिए आज भी इस दिन ब्राह्मण अपने यजमानों को राखी बाँधते हैं रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई को प्यार से राखी बाँधती है और उसके लिए अनेक शुभकामनाएँ करती है। भाई अपनी बहन को यथाशक्ति उपहार देता है।

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