जैसलमेर- इस साल जिले में अब तक पांच लोगों को जासूसी के आरोप में पकड़े जाने से सुरक्षा एजेंसियाँ सतर्क हो गई हैं। सूत्रों के अनुसार राजस्थान इंटेलिजेंस और केंद्रीय जांच इकाइयों ने अलग-अलग समय और परिस्थितियों में ऐसे संदिग्धों को ढेर किए हैं जिनपर पाकिस्तान की खुफिया संस्थाओं को संवेदनशील जानकारी देने का आरोप है।
सबसे पहला मामला 26 मार्च का था जब पहलगांव आतंकी हमले से पहले चांधन फील्ड फायरिंग रेंज के नज़दीक करमों की ढाणी निवासी पठान खान को ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत हिरासत में लिया गया। एजेंसियों का कहना है कि प्रारंभिक पूछताछ में पठान खान के संचार और गतिविधियों में ऐसे पैटर्न मिले जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संभावित खतरनाक माने गए।
28 मई को एक और महत्वपूर्ण कार्रवाई हुई जब राजस्थान इंटेलिजेंस ने कांग्रेस के पूर्व मंत्री सालेह मोहम्मद के निजी सहायक रहे और वर्तमान में सरकारी नौकरी करने वाले शकूर खान को पाकिस्तान के लिए जासूसी के संदेह में डिटेन किया। इसके बाद 3 जून को शकूर खान को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया। अधिकारियों ने बताया कि उसके मोबाइल और ई-संचार के सबूत जाँच के दौरान मिले।
4 अगस्त को शहर में सनसनीखेज गिरफ्तारी हुई जब रक्षा प्रौद्योगिकी विभाग (DRDO) के गेस्ट हाउस के मैनेजर महेंद्र प्रसाद पर आरोप लगा कि वह पाकिस्तानी हैंडलर के साथ संपर्क में था और भारतीय सेना से जुड़ी खुफिया जानकारी साझा कर रहा था। इस मामले में भी आधिकारिक तौर पर गहन जांच जारी है और एजेंसियों ने कई डिजिटल फुटप्रिंट तलब किए हैं।
20 अगस्त को जीवन खान (25) नामक युवक को तब पकड़ा गया जब वह स्थानीय एक रेस्टोरेंट में काम कर रहा था। आरोप है कि जीवन खान पाकिस्तानी नंबरों पर बातचीत कर रहा था और उसके मोबाइल में कई पाकिस्तानी संपर्क सूचीबद्ध मिले। अधिकारियों ने बताया कि सीमावर्ती इलाकों में ऐसे छोटे-छोटे संपर्क भी गम्भीर परिणाम दे सकते हैं।
सबसे हालिया गिरफ्तारी 25 सितंबर को हुई जब हनीफ खान नामक एक शख्स को पकड़ा गया। आरोप है कि वह आईएसआई को भारतीय सेना से संबंधित गोपनीय सूचनाएँ भेज रहा था। मामले की जांच में पाया गया कि संदिग्ध ने कई स्थानों के फोटोग्राफ, तैनाती संबंधी सूचनाएं और कुछ सुरक्षा संरचनाओं के नक्शे साझा किए थे।
सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि युद्ध या द्विपक्षीय तनाव की स्थिति में छोटी-छोटी जानकारियाँ भी निर्णायक साबित हो सकती हैं। जासूस अक्सर सेना की मूवमेंट, तैनाती, फेंसिंग, बॉर्डर आउटपोस्ट (BOP) की लोकेशन, ब्रिज व सैन्य सड़कों के नेटवर्क, और सीमा के पास बने स्कूल, हॉस्टल व प्रशासनिक भवनों की तस्वीरें व विवरण साझा करते हैं। मोबाइल टावरों की लोकेशन व अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधी जानकारी भी दुश्मन खुफिया के काम आती है।
अधिकारियों ने कहा कि इन आवरणों में काम करने वाले कई संदिग्ध सामान्य नागरिक, सरकारी कर्मचारी या सीमा से जुड़े कर्मी रहे हैं, जो किसी भी बहाने से संवेदनशील जानकारी जुटा कर विदेशी हैंडलरों को भेज देते थे। राजस्थान पुलिस और केंद्रीय एजेंसियाँ मिलकर इन मामलों की व्यापक जांच कर रही हैं और स्थानीय लोगों से भी सतर्क रहने और संदिग्ध गतिविधि की सूचना देने की अपील की गई है।
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