नई दिल्ली: पाकिस्तान अब छुप नहीं पा रहा. वो पर्दा जो दशकों से झूठ और इनकार से टिका था, अब खुद उसके नेताओं के बयान से फाड़ा जा चुका है. इस बार कोई रिपोर्ट, कोई जांच एजेंसी या कोई विदेशी सरकार नहीं, बल्कि खुद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कबूल कर लिया, ‘हमने ही आतंकियों को पाला है, उन्हें जमीन दी, हथियार दिए, और फिर उन्हें दुनिया के खिलाफ छोड़ा.’ ये बयान हल्का नहीं है. ये पाकिस्तान की उस पुरानी बीमारी का एक्स-रे है जिसे वो ‘स्ट्रैटेजिक डेप्थ’ कहता रहा, लेकिन असल में आतंक के गटर से दुनिया भर में ज़हर बहाता रहा. ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में साफ-साफ कहा, ‘हमने तीन दशक तक अमेरिका, ब्रिटेन और वेस्ट के लिए गंदा काम किया.’ यानी जो पाकिस्तान अब खुद को आतंकवाद का ‘शिकार’ बताता है, उसने ही उस ज़हर का धंधा खड़ा किया जिसे आज पूरी दुनिया भुगत रही है.
ताजा हमला पहलगाम में हुआ. बैसरन घाटी में 26 निर्दोषों की जान चली गई. हमलावरों में से एक हाशिम मूसा वही निकला जो पाकिस्तान की स्पेशल फोर्स में पैरा कमांडो था. बाद में उसने लश्कर-ए-तैयबा जॉइन किया और कश्मीर में खून बहाने उतर आया. ये वही पाकिस्तान है जो बार-बार कहता है, ‘हम तो पीड़ित हैं.’ अब सिर्फ भारत नहीं, दुनिया भी जान गई है कि पाकिस्तान की धरती आतंकियों की नर्सरी है.
काबुल से ईरान तक, PAK के आतंकी निशान
अफगानिस्तान, ईरान, रूस, ब्रिटेन… हर कोने से पाकिस्तान की आतंकी रील खुल रही है. अफगानिस्तान में 2008 में काबुल स्थित भारतीय दूतावास पर आत्मघाती हमला, किसने करवाया? अमेरिका और नाटो फोर्सेज ने साफ कहा कि ISI ने प्लान किया. पत्रकार कार्लोटा गैल ने भी अपनी किताब में लिखा कि हमला किसी ‘रॉग ऑपरेटिव’ का काम नहीं था, बल्कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के सीनियर अफसरों की जानकारी में हुआ.
ईरान की सीमा से सटे बलूचिस्तान में पाक-पालित संगठन जैश-उल-अदल ने कई हमले किए. जवाब में ईरान ने सीधे पाकिस्तान की धरती पर मिसाइल दागे. इस्लामाबाद कुछ बोल भी नहीं पाया. 2024 में रूस के मॉस्को कॉन्सर्ट हॉल में आतंकी हमला हुआ. रूस को भी पाकिस्तान की तरफ देखना पड़ा. रिपोर्ट्स कहती हैं कि हमलावरों को सपोर्ट पाकिस्तान से मिला. रसद हो या वैचारिक ट्रेनिंग – कनेक्शन वहीं जुड़ते हैं.
ब्रिटेन में 2005 का लंदन बम ब्लास्ट, जिसने यूरोप को झकझोर दिया था, वो भी पाकिस्तान की ज़मीन से जुड़ा था. वहां के तीन हमलावर 2003-05 में पाकिस्तान गए थे. वहीं ट्रेनिंग ली, और वापस लौटकर आतंक मचाया. और फिर आता है ओसामा बिन लादेन. दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकी, जिसे अमेरिका ने पाकिस्तान के एबटाबाद में मारा – और वो भी पाक मिलिट्री एकेडमी से चंद कदम दूर. अब कोई ये कैसे माने कि इतने सालों तक वो वहां छिपा रहा और किसी को खबर नहीं हुई?
कब तक चुप रहेगी दुनिया?
इस पूरे नक्शे में पाकिस्तान वो ठिकाना बन चुका है जो सिर्फ खुद ही आग नहीं लगाता, दूसरों के घरों में भी चिंगारी डालता है और फिर मासूम बनकर ‘जांच की अपील’ करता है. भारत बार-बार सबूत देता रहा. मुंबई हमले के बाद, पठानकोट के बाद, पुलवामा के बाद लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा वही स्क्रिप्ट पढ़ी कि ‘हमने नहीं किया.’ अब जब खुद उनके मंत्री बोल रहे हैं कि हां, हमने किया, तो अब भी कौन बचेगा जो पाकिस्तान की बातों में आएगा?
ये कोई एक सरकार का मामला नहीं. नवाज शरीफ ने खुद 2018 में माना कि मुंबई हमला पाकिस्तान से हुआ. जनरल परवेज मुशर्रफ ने भी माना कि कश्मीर के नाम पर आतंकियों को ट्रेनिंग दी गई. अब ख्वाजा आसिफ ने खुद स्टेटमेंट दिया है. सवाल ये है कि क्या दुनिया अब भी चुप बैठेगी?