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छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने सीबीआई की जांच करने की शक्तियों और अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सोमवार को सुनवाई होनी है.
यह मामला 2161 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले से जुड़ा है, जिसकी जांच सीबीआई और ईडी दोनों एजेंसियां कर रही हैं. ईडी की जांच के अनुसार, इस घोटाले में 2019 से 2022 के बीच छत्तीसगढ़ सरकार के खजाने से भारी गड़बड़ी की गई.
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सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के आवास पर भारी पुलिस बल के साथ दबिश दी थी. बताया जा रहा है कि इन सभी के तार महादेव सट्टा एप से भी जुड़े हो सकते हैं.
छापेमारी के दौरान जब्त किए गए थे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और डॉक्यूमेंट
छापेमारी के दौरान चैतन्य बघेल से जुड़े परिसर से कई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और डॉक्यूमेंट भी जब्त किए गए थे. ईडी ने चैतन्य बघेल के ठिकानों की तलाशी के दौरान जो साक्ष्य और बयान इकट्ठा किए, उनके आधार पर उसे इस घोटाले में मुख्य भूमिका निभाने वाला खिलाड़ी माना जा रहा है.
इस घोटाले की जड़ 2017 में बनी एक सरकारी कंपनी CSMCL (Chhattisgarh State Marketing Corporation Limited) से जुड़ी बताई जाती है. इस कंपनी को शराब की खरीद और बिक्री के लिए बनाया गया था, लेकिन सरकार बदलने के बाद आरोप है कि यह कंपनी एक सिंडिकेट का टूल बन गई.
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अवैध शराब बिक्री से बड़ा कमीशन कमाने का आरोप
ईडी का आरोप है कि CSMCL से जुड़े सभी कॉन्ट्रैक्ट सिंडिकेट से जुड़े लोगों को दिए जा रहे थे, और अवैध शराब बिक्री से बड़ा कमीशन कमाया गया. यह रकम पहले अनवर ढेबर को पहुंचाई गई और फिर उसने इसे राजनीतिक पार्टी तक साझा किया. अब इस पूरे मामले में कानूनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है, जहां बघेल परिवार सीबीआई की जांच पर सवाल खड़े कर रहा है.
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