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उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों के मर्जर के खिलाफ शुरू हुई जंग अब सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक पहुंच चुकी है. आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. उनका कहना है कि “यूपी के मासूम बच्चों का भविष्य किसी राजनीतिक प्रयोग का हिस्सा नहीं बन सकता, और शिक्षा के अधिकार से समझौता नहीं किया जाएगा.”
आज 18 अगस्त को AAP सांसद की याचिका पर देश की सर्वोच्च अदालत में सुनवाई हो रही है. यह मामला जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच के सामने रखा गया है. इस दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल अदालत में बच्चों और अभिभावकों की तरफ से दलीलें रखेंगे.
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आम आदमी पार्टी के सांसद ने अपनी याचिका में कहा है कि यूपी सरकार ने हाल ही में 5,000 से अधिक स्कूलों के मर्जर की प्रक्रिया शुरू की है. इस कदम से करीब 27,000 परिषदीय विद्यालय प्रभावित होंगे. नतीजतन 1,35,000 सहायक शिक्षक और 27,000 प्रधानाध्यापक के पद समाप्त हो जाएंगे. यही नहीं, शिक्षामित्रों और रसोइयों की नौकरियां भी खतरे में पड़ जाएंगी. विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला न केवल शिक्षा तंत्र बल्कि लाखों परिवारों की आजीविका पर भी गहरी चोट करेगा.
10 साल में सरकारी स्कूलों की संख्या 8% घटी!
संजय सिंह ने आंकड़े दिए हैं कि पिछले 10 वर्षों में देशभर में सरकारी स्कूलों की संख्या 8% घटी है, जबकि निजी स्कूलों की संख्या में लगभग 15% की बढ़ोतरी हुई है. इस दौरान यूपी और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है. यह स्थिति साफ संकेत देती है कि सरकारी शिक्षा व्यवस्था धीरे-धीरे कमजोर हो रही है और यूपी इसका सबसे बड़ा उदाहरण बन चुका है.
संजय सिंह ने AAP सरकार में किए गए कामों का हवाला दिया
संजय सिंह के मुताबिक, AAP सरकार का मॉडल दिल्ली और पंजाब में पूरी तरह अलग तस्वीर पेश करता है. दिल्ली में सरकारी स्कूल आज आधुनिक सुविधाओं और गुणवत्तापूर्ण एजुकेशन के लिए देशभर में एक मॉडल बन चुके हैं. यही वजह है कि संजय सिंह की लड़ाई सिर्फ यूपी तक सीमित नहीं रही, बल्कि अब यह पूरे देश के अभिभावकों और बच्चों की आवाज बन गई है.
स्कूलों को बंद करना बच्चों के सपने छीनने जैसा- संजय सिंह
संजय सिंह ने प्रदेशभर में अभियान चलाकर माता-पिता और शिक्षकों को जोड़ा और अब सुप्रीम कोर्ट में भी इस लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं. उनका कहना है कि “सरकारी स्कूलों को बंद करना बच्चों से उनके सपने छीनना है और यह पीढ़ियों के भविष्य पर प्रहार है.” अब पूरे देश की निगाहें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं.
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