चक्रवाती तूफान दित्वा ने श्रीलंका के एक बड़े क्षेत्र को तबाह करने के बाद भारत को भी प्रभावित किया है। रविवार को तमिलनाडु-पुडुचेरी तटरेखा के समानांतर इस तूफान से काफी नुकसान पहुंचा है। जान-माल का नुकसान हुआ है, हजारों एकड़ की खेती तबाह हुई है। समग्र आकलन की जरूरत है, लेकिन पहली नजर में कहा जा सकता है कि इस भयंकर तूफान ने श्रीलंका के साथ ही भारत के भी एक बड़े हिस्से में जनजीवन को प्रभावित कर दिया है। तेज हवाओं के साथ ही भारी बारिश का क्रम जारी है। यह केवल उम्मीद ही की जा सकती है कि जान-माल का नुकसान कम से कम होगा। शनिवार शाम से ही यातायात पर असर पड़ा है। चेन्नई हवाई अड्डे ने रविवार के लिए निर्धारित 47 उड़ानें रद्द कर दीं, जिनमें 36 घरेलू और 11 अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें शामिल हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने चेतावनी जारी कर रखी है और अभी जल्दी राहत की उम्मीद नहीं है। स्थिति सामान्य होने में दो दिन का समय लग सकता है। यह बताना मुश्किल है कि दित्वा तूफान कहां जाकर थमेगा। मौसम विभाग को आशंका है कि इस तूफान का असर आंध्र प्रदेश के साथ ही पश्चिम बंगाल पर भी पड़ सकता है।
सबसे ज्यादा नुकसान तो श्रीलंका में हुआ है। आशंका है कि यह श्रीलंका में इस सदी का सबसे खतरनाक तूफान साबित हो सकता है। वहां 150 से ज्यादा लोगों की मौत पहले ही दर्ज हो चुकी है और अभी बड़ी संख्या में लोग लापता हैं। श्रीलंका के एक बड़े हिस्से में पूरा का पूरा बुनियादी ढांचा ध्वस्त हो चुका है। श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने चक्रवात के बाद की स्थिति से निपटने के लिए शनिवार को ही आपातकाल की घोषणा कर दी है। उन्होंने लगे हाथ दुनिया से मदद की भी गुहार लगाई है और भारत मदद के लिए सबसे पहले पहुंच गया है। अभी श्रीलंका की अर्थव्यवस्था की स्थिति वैसे ही अच्छी नहीं है और जिस तरह की भारी तबाही वहां हुई है, इस देश को उबरने में महीनों लग सकते हैं। भारत को अपने इस पड़ोसी देश की पूरी मदद करनी चाहिए। भारतीय बचाव दल सामग्री के साथ वहां सेवा में लग गए हैं। ऐसे तूफान इतने खतरनाक होते हैं कि इनसे बचने के लिए द्वीपीय देशों में बचाव के विकल्प बहुत कम हैं।
यह ध्यान देने की बात है कि दुनिया में तूफानों की तीव्रता समय के साथ बढ़ रही है। आंकड़े यही गवाही देते हैं कि तूफानों की संख्या बढ़ी नहीं है, लेकिन वे पहले की तुलना में ज्यादा खतरनाक सिद्ध हो रहे हैं। पृथ्वी की सतह पर उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की गति में भी कमी आई है, इस वजह से आमतौर पर ऐसी आपदा वाली जगहों पर भारी बारिश देखी जा रही है। बारिश से ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है। मोटे तौर पर दुनिया में बढ़ते तापमान से इन तूफानों को बल मिल रहा है। सबसे पहले, गर्म समुद्री जल का मतलब यह होता है कि तूफानों को अधिक ऊर्जा मिलती है, जिससे हवा की गति बहुत बढ़ जाती है। यह तथ्य भी सर्वविदित है कि मानव-जनित समुद्री तापमान वृद्धि के चलते 2019 और 2023 के बीच तूफानों की अधिकतम हवा की गति औसतन 30 किलोमीटर प्रति घंटा बढ़ गई है। एक कारण यह भी है कि गर्म वातावरण अधिक नमी धारण कर सकता है, जिससे तीव्र वर्षा होती है। जलवायु परिवर्तन ने अत्यधिक वर्षा की आशंका को लगभग तीन गुना बढ़ा दिया है। कोई संदेह नहीं है कि पर्यावरण बचाव के विश्वव्यापी उपायों को आजमाकर समुद्री तूफानों के खतरे को कम किया जा सकता है। क्या इस दिशा में हम गंभीरता से प्रयास करेंगे?
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