भास्कर संवाददाता| राजगढ़
न्यायालय से राहत मिलने और जमीन के सभी वैध दस्तावेज होने के बावजूद छतरपुरा गांव का एक परिवार दबंगों के भय से आज भी गांव से बाहर जंगल में रहने को मजबूर है। छतरपुरा निवासी गोपीलाल, बीरम सिंह और उसका परिवार बीते करीब 15 दिनों से बरखेड़ा के जंगलों में डेरा डाले हुए है।
परिवार ने न्याय और सुरक्षा की गुहार लगाते हुए हाल ही में कलेक्ट्रेट परिसर में धरना भी दिया, लेकिन आश्वासन के बाद भी उनकी स्थिति जस की तस बनी हुई है। गोपीलाल बीते मंगलवार सपरिवार राजगढ़ पहुंचे थे और कलेक्ट्रेट परिसर में धरना देकर अपनी पीड़ा प्रशासन के सामने रखी थी। शाम को प्रशासन ने उचित कार्रवाई का भरोसा दिया, जिसके बाद परिवार राजगढ़ से लौटा, लेकिन उन्हें न तो अपनी जमीन पर कब्जा मिल सका और न ही गांव में सुरक्षित रहने का अवसर।
अवैध कब्जे हटे बिना कब्जा लेने से इनकार: बीरम के पिता गोपीलाल ने बताया कि धरने के अगले दिन भोजपुर के नायब तहसीलदार रणवीर सिंह मीणा और पटवारी मौके पर पहुंचे थे। पटवारी ने नामांकन की कार्रवाई की, लेकिन स्पष्ट जानकारी नहीं दी। अधिकारियों ने जमीन पर बने अवैध कच्चे मकानों को हटाए बिना ही कब्जा लेने की बात कही। पूर्व में इन्हीं अवैध कब्जों को लेकर विवाद और मारपीट हो चुकी है। जिसके बाद जंगल में रहना मजबूरी बन गया है।
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