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नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की कानूनी मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती नजर आ रही हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नोटिस जारी किया है, जिसमें ट्रायल कोर्ट के एक हालिया फैसले को चुनौती दी गई है.
निचली अदालत ने तकनीकी आधार पर ईडी की चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था जिसे अब केंद्रीय जांच एजेंसी ने हाई कोर्ट में गलत ठहराया है. मामले की सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तीखी दलीलें पेश कीं.
उन्होंने जस्टिस रविंदर डुडेजा की पीठ के सामने कहा कि ट्रायल कोर्ट का यह निष्कर्ष कि “बिना एफआईआर के मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू नहीं हो सकती”, कानून की नजर में ‘भयानक रूप से गलत’ है. मेहता ने तर्क दिया कि यदि इस फैसले को स्वीकार कर लिया जाता है, तो इससे देश के कई अन्य महत्वपूर्ण मनी लॉन्ड्रिंग मामलों पर गंभीर असर पड़ेगा और आर्थिक अपराधियों को बचने का रास्ता (Hall Pass) मिल जाएगा.
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इस केस में गांधी परिवार के अलावा जिन लोगों को नोटिस भेजा गया है, उनमें कांग्रेस नेता सुमन दुबे, सैम पित्रोदा, यंग इंडियन कंपनी, डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड और सुनील भंडारी शामिल हैं.
क्या था निचली अदालत का आदेश?
बीते 16 दिसंबर को विशेष न्यायाधीश ने ईडी की शिकायत पर संज्ञान लेने से यह कहते हुए मना कर दिया था कि यह मामला किसी पुलिस एफआईआर या सीबीआई की जांच पर आधारित नहीं है, बल्कि भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की एक ‘निजी शिकायत’ (Private Complaint) से उपजा है. अदालत का मानना था कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत कार्रवाई के लिए किसी कानून प्रवर्तन एजेंसी द्वारा दर्ज की गई एफआईआर अनिवार्य है.
हाई कोर्ट में कांग्रेस का पक्ष गांधी परिवार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और आर. एस. चीमा पेश हुए. सिंघवी ने अदालत को बताया कि वे ईडी की दलीलों से पूरी तरह असहमत हैं और इस मामले में अपना विस्तृत जवाब दाखिल करेंगे. हालांकि, उन्होंने कोर्ट का नोटिस स्वीकार कर लिया है. अदालत ने अब इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 मार्च 2026 की तारीख तय की है.
2,000 करोड़ की संपत्ति का विवाद
यह पूरा विवाद एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की संपत्तियों के अधिग्रहण से जुड़ा है. ईडी का आरोप है कि सोनिया और राहुल गांधी की 76% हिस्सेदारी वाली कंपनी ‘यंग इंडियन’ ने धोखाधड़ी के जरिए एजेएल की लगभग 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति को मात्र 50 लाख रुपये में हासिल कर लिया. एजेंसी का दावा है कि 90 करोड़ रुपये के कर्ज के निपटारे के नाम पर यह पूरी साजिश रची गई और मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए संपत्तियों का हस्तांतरण हुआ.
(PTI इनपुट्स के साथ)
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