Delhi News: दुर्लभ बीमारी की शिकार 9 की नसरीन अपने पैरों पर खड़ा हो गई, डॉक्टरों ने जगाई उम्मीद – Zee News Hindi

Positive Story: जन्म के समय ही नसरीन को न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 2 (NF2) और टिबिया के जन्मजात स्यूडोआर्थ्रोसिस जैसी दुर्लभ बीमारियों का सामना करना पड़ा. उसके पैर इतने अधिक झुके हुए थे कि वह चलने-फिर भी नहीं सकती थी. डॉक्टर उसकी सर्जरी में सफल रहे हैं.
Trending Photos
Miracle in Medical Science: दिल्ली की 9 वर्षीय बच्ची नसरीन को जन्मजात बीमारी ने उसे चलने-फिरने में असमर्थ बना दिया था. पैदा होते ही उसे एक ऐसी दुर्लभ बीमारी ने जकड़ लिया था जिसके ठीक होने की उम्मीद शायद ही थी. उसके पैर इतने अधिक झुके हुए थे कि वह चलने-फिर भी नहीं सकती थी. महज छह साल की उम्र में ही उसे सर्जरी से गुजरना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ. फिर उसकी जिंदगी में कुछ डॉक्टर फरिश्ते बनकर आए. उन्होंने बच्ची और उसके परिवार को वो खुशी थी, जिसकी उन्हें वर्षों से जरूरत थी.  डॉक्टरों की टीम ने नसरीन को उसके पैरों पर खड़ा करने में सफलता हासिल की. डॉक्टरों द्वारा सफल सर्जरी के बाद अब नसरीन न केवल अपने पैरों पर खड़ा होगी, बल्कि बहुत जल्द अन्य बच्चों के साथ खेल भी सकेगी. नसरीन के माता-पिता ने इसे डॉक्टरों का चमत्कार बताया है. 

दुर्लभ बीमारियों ने बचपन में ही जकड़ लिया 
जन्म के समय ही नसरीन को न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 2 (NF2) और टिबिया के जन्मजात स्यूडोआर्थ्रोसिस जैसी दुर्लभ बीमारियों का सामना करना पड़ा. न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 2 या NF2 एक जीन की बीमारी है जो मुख्य रूप से तंत्रिका तंतु प्रणाली को प्रभावित करती है. टिबिया के जन्मजात स्यूडोआर्थ्रोसिस से पीड़ित शख्स की टिबिया (निचले पैर की मुख्य हड्डी) पूरी तरह से विकसित नहीं होती और उसमें एक असामान्य कमजोरी या टूटन होती है. टूटी हड्डी वास्तव में जुड़ती नहीं है. 

पहली सर्जरी का अनुभव
महज 6 साल की उम्र में नसरीन को पहली बार सर्जरी से गुजरना पड़ा. कोई सुधार नहीं होने पर परिवार ने आकाश हेल्थकेयर में विशेषज्ञ डॉक्टरों से संपर्क किया और उन्हें पूरी केस हिस्ट्री बताई. ऑर्थोपेडिक्स और जॉइंट रिप्लेसमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. विक्रम खन्ना ने बताया कि हड्डियों के सिरों का आपस में न जुड़ना सबसे बड़ी चुनौती थी. नसरीन की हड्डियों की गुणवत्ता खराब थी और बोन मेरो बहुत पतली थी, जिससे उपचार में कठिनाई आई. डॉक्टरों ने पारंपरिक सर्जरी के विकल्प पर विचार किया, लेकिन अंततः मल्टी स्टेप विजन अपनाया. 

इस तरह हुई सर्जरी को शुरुआत 
सबसे पहले डॉक्टरों नसरीन के पैरों से असामान्य टिस्यू वृद्धि को हटाया गया. इसके बाद, हड्डी का ग्राफ्ट किया गया और टाइटेनियम इलास्टिक नेलिंग सिस्टम (TENS) का उपयोग किया गया. फिबुला के K-वायरिंग द्वारा अतिरिक्त सहायता प्रदान की गई. अंत में, इलिजारोव बाहरी फिक्सेटर लगाया गया, जो हड्डियों को स्थिर रखने में मदद करता है. आकाश हेल्थकेयर के ऑर्थोपेडिक्स और जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के निदेशक और प्रमुख डॉ. आशीष चौधरी ने कहा, इलिजारोव फ्रेम को छह महीने तक तब तक रखा गया जब तक कि एक्स-रे में यह पुष्टि नहीं हो गई कि हड्डी पूरी तरह जुड़ गई है. इस दौरान हमने नसरीन को वॉकर की मदद से चलने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे उसकी ठीक हो रही हड्डियों को मजबूत करने में मदद मिली. 
नसरीन के चेहरे पर दिखी खुशी 
सफल सर्जरी के बाद नसरीन ने कहा,  मुझे खुशी है कि मैं अब चलने में सक्षम हूं और मैं कुछ ही महीनों में अपने दोस्तों के साथ खेल सकूंगी. डॉक्टरों ने सलाह दी है कि जब तक नसरीन में अपेक्षित सुधार नहीं होता तब तक TENS नेल्स उसके टिबिया में रहेंगी,  जिससे रिफ्रैक्चर का जोखिम कम हो जाएगा. बाहरी फिक्सेटर को हटाने के बाद भी उसे अपनी हड्डियों की सुरक्षा के लिए अगले पांच से छह वर्षों तक प्लास्टर कास्ट या ब्रेस पहनने की जरूरत पड़ेगी. डॉक्टरों ने कहा कि नसरीन को अपनी हड्डियों के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए हर छह महीने में नियमित एक्स-रे कराना होगा. नसरीन की सफल सर्जरी उन लोगों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है जो इस विकार से जूझ रहे हैं.

इनपुट: हरिकिशोर साहा 
ये भी पढ़ें: दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक और अस्पतालों की खुली कलई, CAG रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
 
Thank you
By clicking “Accept All Cookies”, you agree to the storing of cookies on your device to enhance site navigation, analyze site usage, and assist in our marketing efforts.

source.freeslots dinogame telegram营销

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Toofani-News