डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने से पूरी दुनिया में उथल-पुथल है. लेकिन सबसे ज्यादा टेंशन में यूरोप के 40 देश हैं. वही यूरोप, जो कभी अमेरिका का राइट हैंड हुआ करते थे. लेकिन ट्रंप ने उन्हें ठेंगा दिखा दिया है. अब उनके पास कोई विकल्प नहीं है, तो वे भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं. तभी तो यूरोपियन यूनियन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन भारत पहुंचीं. पीएम मोदी से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का भरोसा लिया. सिक्योरिटी पर बात की. इन्वेस्टमेंट का भरोसा दिया. लेकिन इन्हें चाहिए क्या?
यूरोप के देशों पर अस्तित्व का संकट मंडरा रहा है. ट्रंप न तो उन्हें सुरक्षा की गारंटी दे रहे हैं और न ही किसी तरह की वित्तीय मदद देना चाहते हैं. वे खुद हर जगह अमेरिका फर्स्ट की बात कर रहे हैं. इससे यूरोपीय देशों से अमेरिका के रिश्ते इन दिनो खट्टे हो गए हैं. फॉरेनपॉलिसी डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोपीय देशों को डर है कि अमेरिका उनके यहां तैनात अपनी सेनाएं वापस बुला सकता है. इसके बाद यूरोपीय देश एकला चलो की राह पर आ गए हैं. वे यूक्रेन को मदद करना चाहते हैं और नाटो को मजबूत करना चाहते हैं. जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक ने कहा, क्या यूरोप इसके लिए तैयार है? यूरोपीय देशों में 100,000 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. अगर ये लौट गए तो हमारी सुरक्षा कौन करेगा. लेकिन फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड जैसे देशों ने कदम आगे बढ़ा दिए हैं. वे अमेरिका से दूरी बनाने लगे हैं और भारत की ओर रुख कर रहे हैं.
भारत से इन्हें क्या चाहिए, और हमें क्या मिलेगा?