एयर इंडिया पर फूटा वीर दास का गुस्सा, पत्नी के पैर की हड्डी टूटी हुई, मगर नहीं अरेंज कर पाए व्हीलचेयर – Jansatta

एक्टर और कॉमेडियन वीर दास ने एयर इंडिया पर मिस मैनेजमेंट का आरोप लगाया है। दास ने मंगलवार को कहा कि एयर इंडिया ने उनकी पत्नी के लिए व्हीलचेयर अरेंज नहीं कराई जबकि उन्होंने पहले से ही इस सेवा के लिए बुकिंग कराई हुई थी। दास की पत्नी के पैर की हड्डी टूटी हुई है, मगर एयर इंडिया ने इस तरह की लापरवाही दिखाई, जिसके लिए वीर ने नाराजगी जाहिर की है।
विमान कंपनी के प्रवक्ता ने वीर के आरोपों का जवाब देते हुए ये स्वीकार किया कि सेवा में कमी रही। उन्होंने कहा कि वीर की पत्नी शिवानी माथुर को व्हीलचेयर उपलब्ध कराने में देरी हुई लेकिन इसके लिए मना नहीं किया गया था। दास ने एक्स पर एक लंबी पोस्ट में विमान कंपनी की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने सोमवार शाम को मुंबई से दिल्ली की जर्नी के लिए एयर इंडिया की फ्लाइट में दो सीट बुक की थी और हर सीट के लिए 50-50 हजार रुपये का पेमेंट भी किया था, लेकिन इस सफर के दौरान उन्हें और उनकी पत्नी कई समस्याओं का सामना करना पड़ा।
उन्होंने विमान कंपनी से शिकायत करते हुए लिखा, “प्रिय एयर इंडिया, कृपया अपनी व्हीलचेयर वापस ले लें। मैं मानता रहा हूं कि आपके पास सबसे बढ़िया चालक दल है लेकिन मुझे यह पोस्ट लिखते हुए बहुत तकलीफ हो रही है। मेरी पत्नी और मैंने व्हीलचेयर बुक की थी क्योंकि उसके पैर की हड्डी टूट गई है और वह अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं है। हम दिल्ली जा रहे थे। मैंने हर सीट के लिए 50 हजार रुपये का भुगतान किया था, लेकिन हमने पाया कि टेबल टूटी हुई थी, पैर रखने का स्टैंड भी टूटा हुआ था और मेरी पत्नी की सीट झुकी हुई थी साथ ही ये पूरी तरह से सीधी भी नहीं हो पा रही थी। हालांकि हमें बताया गया कि विमान को नये सिरे से तैयार किया गया है।”
Dear @airindia Please reclaim your wheelchair. I’m a lifetime loyalist. I believe you’ve got the nicest cabin crew in the sky, this post pains me to write. My wife and I book Pranaam and a wheelchair because she’s got a foot fracture that’s still healing. We’re flying to delhi.…
उन्होंने बताया कि विमान दो घंटे की देरी के बाद हवाई अड्डे पर उतरा और जब उतरा तो उन्हें सीढ़ी से नीचे उतरने के लिए कहा गया। दास ने बताया, “हमने पहले ही व्हीलचेयर और इनक्लाम सेवा बुक की हुई थी। मैंने विमान के सामने खड़ी एयरहोस्टेस से मेरी पत्नी की थोड़ी मदद करने के लिए कहा क्योंकि मैरे हाथ में चार-चार बैग थे। उन्होंने चुप्पी साध ली और एक-दूसरे की तरफ ऐसे देखने लगीं जैसे उन्हें कुछ पता ही नहीं है। हम विमान से सीढ़ियों के सहारे नीचे उतरे। मैंने नीचे उतरने के बाद वहां खड़े एयर इंडिया के एक पुरुष कर्मचारी से भी मदद मांगी तो उसने मेरी तरफ देखा, अपने कंधे उचका दिए और मुझे पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया।”
उन्होंने बताया, “मेरी पत्नी की पैर की हड्डी टूटी हुई है, उसके बावजूद भी उसे सीढियों से नीचे उतरना पड़ा। मैंने बस के पास खड़े कंपनी के कर्मचारी को पूरा घटनाक्रम बताया कि क्या-क्या हुआ तो वह कहता है, ‘सर क्या करें…सॉरी।”
I don’t know why me tweeting about having a bad experience on an airline is newsworthy ?‍♂️ But since it is, I’d like to reiterate. I fly globally more than anyone I’ve ever met, there is no nicer cabin crew than @airindia and they will still always be my first choice. I’m rooting…
दास ने पोस्ट में बताया कि उन्हें टर्मिनल पर भी आसानी से व्हीलचेयर नहीं मिली। उन्होंने कहा, “इनक्लाम सेवा के लोगों ने व्हीलचेयर उपलब्ध कराने वाले कर्मचारियों को बताया कि हमने पहले से ही व्हीलचेयर बुक की हुई थी। उसने ऐसे जताया, जैसे उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा है। हर जगह व्हीलचेयर उपलब्ध थी, लेकिन वहां कोई कर्मचारी नहीं था क्योंकि विमान देरी से उतरा था। मैंने वहां से एक व्हीलचेयर ली और फिर पत्नी को लेकर हवाई अड्डे से बाहर पार्किंग तक गया। इनक्लाम, एयर इंडिया को बताएं कि ऐसा हो रहा है। कोई नजर नहीं आया। खैर! आपकी एक व्हीलचेयर पार्किंग की दूसरी मंजिल पर है। इसे ले लेना। मजे करो!”
एयर इंडिया ने दास की पोस्ट का जवाब देते हुए कहा, “प्रिय दास, हम आपकी भावना समझते हैं और आपसे सहानुभूति है। कृपया हमारे साथ बुकिंग विवरण साझा करें ताकि हम इस पर प्राथमिकता से विचार कर सकें।” दास की पोस्ट के कुछ घंटों बाद एयरलाइन ने एक बयान जारी कर कहा कि उन्होंने इस मामले का संज्ञान ले लिया है। एयर इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, “हम मेहमानों के साथ सहानुभूति रखते हैं, खासतौर पर आने-जाने से संब‍ंधित चीजों पर। हम मानते हैं कि आपका अनुभव अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा। चालक दल ने अतिथि की सहायता करने की पेशकश की, जिसमें एसओपी के अनुसार विमान को उपलब्ध कराए गए ‘एम्बुलिफ्ट’ का उपयोग करके विमान से नीचे उतरना शामिल था। व्हीलचेयर उपलब्ध कराने में देरी हुई, लेकिन इससे इनकार नहीं किया गया था। व्हीलचेयर उपलब्ध कराने में इसलिए देरी हुई क्योंकि उस समय व्हीलचेयर और उस समय उपलब्ध कर्मचारियों की मांग अधिक थी।”

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