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ज्येष्ठ पूर्णिमा (Jyeshtha Purnima) हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मा2025 स की पूर्णिमा तिथि को कहा जाता है. यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस साल यह तिथि 11 जून 2025 को है.
इस दिन गंगा स्नान, दान और जप का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा पर गंगा स्नान से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
कुछ क्षेत्रों में इसे वट सावित्री व्रत के रूप में भी मनाया जाता है. विवाहित महिलाएं इस दिन वट (बड़) वृक्ष की पूजा करके अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं. इस व्रत में सावित्री और सत्यवान की कथा का पाठ किया जाता है.
यह दिन महर्षि वेदव्यास की पूजा के लिए भी जाना जाता है. कई स्थानों पर इसे व्यास पूजा दिवस भी कहा जाता है.
यह साल का सबसे गर्म समय होता है, इसलिए इस महीने में जलदान, छाया दान, पंखा दान आदि को विशेष पुण्यकारी माना जाता है. ताप से राहत देने वाले कार्य जैसे जल प्याऊ लगवाना, छायादार वृक्ष लगाना, पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करना, अत्यंत शुभ माने जाते हैं.
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