समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के लिए साल 2024 काफी खास रहा, कहना चाहिए हर मायने में उनके लिए एक ब्लॉकबस्टर फिल्म जैसा रहा। लोकसभा चुनाव में जो अप्रत्याशित नतीजे देखने को मिले, उससे अखिलेश यादव तो गदगद हुए ही, उनकी समाजवादी पार्टी को भाजपा के खिलाफ एक उम्मीद की बड़ी किरण भी मिल गई।
2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव को जब फिर करारी हार का सामना करना पड़ा, उन्होंने एक नई रणनीति पर काम करना शुरू किया। उसे रणनीति के तहत उन्होंने पीडीए फार्मूले पर समाजवादी पार्टी को आगे चलाने का निर्णय किया।
अब शुरुआत में तो उस फार्मूले पर आगे बढ़ अखिलेश यादव को ज्यादा सफलता नहीं मिल रही थी, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में उनकी मेहनत रंग लाई। दलित-मुस्लिम का समीकरण, युवाओं को चुनावी मैदान में उतारना, एक ऐसी रणनीति बन गई जिसके दम पर अखिलेश यादव ने यूपी में बीजेपी के सभी मंसूबों पर पानी फेर दिया। इस बार के उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 37 सीटें जीत लीं।
2024 में राहुल गांधी में दिखा कितना दम?
यह वो चुनाव था जिसमें भाजपा सभी 80 सीटें जीतने का दावा कर रही थी। लेकिन अखिलेश यादव ने अपने दम पर भाजपा के विजय रथ को देश के सबसे बड़े राज्य में रोकने का काम किया। बड़ी बात यह भी रही कि उस लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जो बहुमत नहीं मिला, उसमें उत्तर प्रदेश का ही सबसे बड़ा योगदान रहा। अगर 2019 वाला प्रदर्शन भाजपा यूपी में फिर दोहरा देती तो उस स्थिति में उसे पूर्ण बहुमत फिर मिल जाता। इसी वजह से माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में अगर सबसे बड़ा खेल किसी ने किया तो वह अखिलेश यादव रहे।
इसके ऊपर अखिलेश यादव के लिए पूरे यूपी की जीत से बड़ी जीत तो फैजाबाद में जीत का परचम लहराना रहा। अयोध्या जो राम भक्ति में रमा हुआ दिखाई दे रहा था, जिस अयोध्या में सालों की देरी बाद राम मंदिर का निर्माण हुआ था, किसी ने नहीं सोचा था कि बीजेपी को वहां हार मिल जाएगी। लेकिन अखिलेश ने जमीनी मुद्दों पर फोकस किया, अवधेश प्रसाद पर भरोसा जताया, नतीजा यह रहा कि बीजेपी की सबसे बड़ी और कड़ी बेइज्जती फैजाबाद में ही हो गई।
अब लोकसभा चुनाव में तो अखिलेश यादव को अपार सफलता मिली, माना गया कि 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें एक बड़ा बूस्ट मिल गया, लेकिन ऐसा हो पाता उससे पहले ही यूपी उपचुनाव में फिर बीजेपी ने सपा प्रमुख के साथ सबसे बड़ा खेल किया। ऐसा खेल जिस वजह से बाजी पूरी तरह पलट गई और 10 में से सपा के खाते में सिर्फ 2 सीटें जा पाईं। वैसे चुनावों के अलावा अब लोकसभा में भी अखिलेश यादव का दमदार अंदाज देखने को मिल रहा है। बतौर सांसद वे जिस तरह से वे संसद में भाषणवाजी कर रहे हैं, उनके समर्थक उससे खासा प्रभावित हैं।
माना तो यह भी जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की चुनौती अगर किसी ने बढ़ाने का काम किया है तो वे अखिलेश यादव ही रहे हैं। बात चाहरे बहराइच हिंसा की हो, बात चाहे बुलडोजर कार्रवाई की हो, बात चाहे मंदिर-मस्जिद सर्वे की हो, अखिलेश हर मुद्दे पर आक्रमक अंदाज में योगी पर निशाना साध रहे हैं। इसी वजह से माना जा रहा है कि अखिलेश यादव के लिए साल 2024 बेमिसाल साबित हुआ है। वैसे अखिलेश यादव के योगी पर हो रहे लगातार हमलों की लिस्ट खासा लंबी है। ऐसे में उनसे जुड़ी और खबरों के लिए यहां क्लिक किया जा सकता है।
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