भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद पाकिस्तान ने 24 अप्रैल 2025 को भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया। इस फैसले का पाकिस्तान को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं भारत ने भी अपने हवाई क्षेत्र को पाकिस्तानी विमानों के लिए बंद कर दिया है।
New Delhi: भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ते राजनयिक और सुरक्षा तनाव का असर अब दोनों देशों की आर्थिक स्थिति पर भी साफ दिखाई देने लगा है। भारत द्वारा 23 अप्रैल 2025 को सिंधु जल संधि निलंबित करने के ठीक एक दिन बाद, पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया था।
इस कदम के कारण पाकिस्तान को 4.10 अरब पाकिस्तानी रुपये (लगभग 127 करोड़ भारतीय रुपये) का नुकसान हुआ है। यह जानकारी पाकिस्तान की संसद में 8 अगस्त 2025 को साझा की गई। पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह नुकसान 24 अप्रैल से 30 जून 2025 के बीच हुआ जब भारतीय उड़ानों को पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से गुजरने की अनुमति नहीं दी गई।
रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रतिबंध से 100 से 150 भारतीय फ्लाइट्स सीधे तौर पर प्रभावित हुईं। हालांकि पाकिस्तान का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता आर्थिक लाभ से ऊपर है, इसलिए ऐसे निर्णय आवश्यक थे। इससे पहले 2019 में भी ऐसा ही प्रतिबंध लगने पर पाकिस्तान को 54 मिलियन डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा था।
पाकिस्तान एयरस्पेस अभी भी बंद
पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र अभी भी भारतीय विमानों के लिए बंद रखा गया है और यह अगस्त के अंतिम सप्ताह तक लागू रहेगा। भारत ने भी इसी तरह अपने हवाई क्षेत्र को पाकिस्तानी विमानों के लिए बंद कर दिया है और कहा है कि सुरक्षा और संप्रभुता की कीमत पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
हमला बना तनाव की वजह
गौरतलब है कि 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 नागरिकों की जान चली गई थी। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF)’ ने ली थी। इसके जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की, राजनयिक संबंधों में कटौती की, सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया और पाकिस्तान के साथ व्यापारिक रिश्तों पर रोक लगा दी।
PAA का दावा—राजस्व में बढ़ोतरी
पाकिस्तान ने हालांकि यह भी दावा किया कि उसके हवाई अड्डा प्राधिकरण (PAA) का कुल राजस्व 2019 में $508,000 से बढ़कर 2025 में $760,000 हो गया है। रक्षा मंत्रालय ने इसे सकारात्मक संकेत बताया लेकिन स्वीकार किया कि हवाई क्षेत्र प्रतिबंध से वित्तीय नुकसान होता है।