India vs US: भारत चुप है… लेकिन कब तक? ट्रंप के टैरिफ वार पर भारत की क्या है रणनीति – Dynamite News Hindi

अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव ने एक नया मोड़ ले लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 फीसदी टैरिफ और अतिरिक्त जुर्माने की घोषणा ने भले ही वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी हो, लेकिन भारत सरकार इस पर सधा और शांत रवैया अपनाने का फैसला कर चुकी है।
ट्रंप के टैरिफ वार पर भारत का क्या होगा अगला कदम (सोर्स इंटरनेट)
New Delhi: अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव ने एक नया मोड़ ले लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 फीसदी टैरिफ और अतिरिक्त जुर्माने की घोषणा ने भले ही वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी हो, लेकिन भारत सरकार इस पर सधा और शांत रवैया अपनाने का फैसला कर चुकी है।
सूत्रों के मुताबिक, भारत इस टैरिफ के खिलाफ कोई जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा, बल्कि बातचीत के ज़रिए समाधान तलाशने की दिशा में आगे बढ़ेगा। सरकारी सूत्रों का मानना है कि ‘चुप रहना ही सबसे अच्छा जवाब है।’ भारत इस मुद्दे को आक्रामक तरीके से नहीं बल्कि कूटनीतिक स्तर पर निपटाना चाहता है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने टैरिफ का कारण भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने और व्यापार में लॉन्ग-टर्म बाधाओं को बताया है। यह टैरिफ 1 अगस्त से प्रभावी होगा। अमेरिकी पक्ष का कहना है कि भारतीय बाजार में अमेरिकी उत्पादों की पहुंच कम है, जिसे बढ़ाने के लिए वह दबाव बना रहे हैं।
लोकसभा में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत सरकार स्थिति पर पूरी तरह नजर रखे हुए है। उन्होंने बताया कि भारत और अमेरिका के बीच कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं, जहां 10 से 15 प्रतिशत टैरिफ घटाने जैसे विकल्पों पर चर्चा की गई है। सरकार देशहित में हर कदम सोच-समझकर उठा रही है।
सरकारी सूत्रों ने कहा, “जब भारत ने परमाणु परीक्षण किया था, तब हम पर प्रतिबंध लगे थे और हम एक कमजोर अर्थव्यवस्था थे। लेकिन आज हम आत्मनिर्भर हैं। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं।” कुछ विशेषज्ञों ने भी माना कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस टैरिफ से सीधे प्रभावित नहीं होगी, क्योंकि भारत का आर्थिक आधार अब कहीं ज्यादा मजबूत है।
वहीं विपक्ष ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा, “ट्रंप ने भारत की ‘डेड इकॉनमी’ की सच्चाई दुनिया को बता दी है। प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को छोड़कर हर कोई जानता है कि हमारी अर्थव्यवस्था बर्बाद हो चुकी है।” उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने अडानी को फायदा पहुंचाने के लिए देश की इकोनॉमी को गिरवी रख दिया है।
अब जब दोनों देश टकराव की राह पर नहीं हैं, सवाल उठता है कि क्या भारत की यह “नो-रिएक्शन” नीति सच में समझदारी है या मौन से कमज़ोरी का संदेश जाएगा? अगस्त की शुरुआत से पहले दोनों देशों के बीच और बातचीत की उम्मीद की जा रही है। समाधान निकलेगा या तनाव और बढ़ेगा – यह आने वाले हफ्ते तय करेंगे।

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