Noida News: शारदा यूनिवर्सिटी के छात्र की खुदकुशी से हड़कंप, पिता ने उठाए गंभीर सवाल – Zee News

Noida News: नोएडा से एका मामला सामने आया है, जहां शारदा यूनिवर्सिटी के छात्र ने आत्महत्या कर ली है. छात्र बिहार के पूर्णिया के रहने वाला था. मृतक की पहचान शिवम में रूप में हुई है. शिवम के रूम से पुलिस को सुसाइड नोट भी मिला है.
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Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी के छात्र ने 16 अगस्त को हॉस्टल में आत्महत्या कर लिया. मृतक की पहचान शिवम कुमार डे के रूप में हुई है, जो बिहार के पूर्णिया के रहने वाला था. शिवन यहां बीटेक की पढ़ाऊ के लिए आया था. शुक्रवार को शिवम का शप उसके हॉस्टल के रूम मं मिला. वहीं पुलिस को शिवाम के रूम से  कथित सुसाइड नोट भी मिला है. शिवम के पिता के तहरीर पर पुलिस ने मामले में BNS की धारा-108 (आत्महत्या के लिए उकसाने) को तहत शारदा विश्वविद्यालय प्रशासन और कुछ अज्ञात लड़कों के खिलाफ केस दर्ज किया है. पिता कार्तिक चंद्र डे ने बताया कि नॉलेज पार्क-3 स्थित एचएमआर ब्वॉयज हॉस्टल में रहने वाले शारदा विश्वविद्यालय के बीटेक के छात्र ने शुक्रवार रात फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी. 

वहीं पुलिस ने हॉस्टल से एक सुसाइड नोट बरामद किया है, जिसमें छात्र ने आत्महत्या के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराया है. वहीं परिजन ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय उनसे लगातार फीस लेता रहा, लेकिन छात्र के कॉलेज नहीं आने के बारे में कोई जानकारी कभी नहीं दी. पुलिस परिजन की तहरीर पर मामले की जांच कर रही है. उनकी भांजी रितिका पाल नोएडा में रहती हैं. शारदा विश्वविद्यालय में बीटेक करने के बाद कैंपस प्लेसमेंट होने से भांजी नोएडा की एक आईटी कंपनी में नौकरी कर रही है. इसी के कारण पुत्र शिवम डे का दाखिला शारदा विश्वविद्यालय में कराया गया था. पुत्र का चयन पुणे के अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में हुआ बीटेक के लिए हुआ था, लेकिन घर से पुणे की दूरी अधिक होने के कारण पुत्र को वहां पढ़ाई के लिए नहीं भेजा था. 

पुत्र की पढ़ाई के लिए बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना से करीब 2 लाख रुपये का लोन लिया था. विश्वविद्यालय में एक सेमेस्टर की फीस शुरूआत में करीब 1 लाख 12 हजार रुपये थी, जो सातवें सेमेस्टर तक बढ़कर 1 लाख 18 हजार रुपये पहुंच गई थी. वह सात सेमेस्टर तक वह फीस जमा करते रहे. इस साल जून में सातवें सेमेस्टर की फीस जमा की थी, जिसे बैंक से लोन लिया था. उससे भी फीस कटती रही. अगर विश्वविद्यालय की ओर से लगातार फीस ली जा रही थी, तो पुत्र के कॉलेज नहीं आने और पंजीकरण नहीं कराने की जानकारी ईमेल के जरिये क्यों नहीं दी गई. उन्होंने प्रबंधन से मेल कर सवाल पूछा है कि अगर पुत्र विश्वविद्यालय नहीं आ रहा था तो इसकी जानकारी उन्हें क्यों नहीं दी गई, जबकि उनसे लगातार फीस ली जाती रही.

पहले सेमेस्टर के दौरान एक विषय में बैक लगने पर उन्होंने बेटे से कहा था कि अगर उसका मन नहीं लग रहा है, तो वह पढ़ाई छोड़ वापस आए जाए. कोई दूसरी चीज की पढ़ाई करें. पुत्र बीटेक की पढ़ाई के करने के साथ ही रेलवे की भर्ती के लिए बीच-बीच में एग्जाम देता था. उन्हें नहीं मालूम कि पुत्र ने जो मार्कशीट उन्हें भेजी थी, वह एडिट की हुई है. यह तो विश्वविद्यालय को भी देखना चाहिए कि कोई कैसे ऐसा कर सकता है. पुलिस जांच में यह भी पता चला है कि छात्र की 7 विषय में बैक आई थी. वह बैक के कई एग्जाम दे रहा था. बैक पेपर क्लियर नहीं होने के कारण वह परेशान चल रहा था. चूंकि वह द्वितीय वर्ष के दौरान ही पूर्व में आई बैक को क्लियर नहीं कर पा रहा था. 
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इस कारण वह तृतीय वर्ष में नहीं जा पा रहा था. वह अपने प्रथम और द्वितीय वर्ष के बैक पेपर को क्लियर करने के लिए हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहा था. जांच में यह भी पता चला है कि वह मार्कशीट को एडिट कर अपने अभिभावक को भेजता था, जिससे अभिभावक को अहसास हो सके कि वह लगातार परीक्षा दे रहा है. वहीं अभिभावक भी यह सोचते थे कि पुत्र पास हो रहा तो उन्होंने फीस देने में कभी देरी नहीं की, जबकि विश्वविद्यालय बैक पेपर को पास करने के लिए दी गई फीस को लेता रहा. इस कारण उससे अभिभावक को सूचना देने की जहमत नहीं उठाई. पुलिस की ओर से इस बात की भी जांच की जा रही है कि अगर वह विश्वविद्यालय नहीं जा रहा था, तो कहां जा रहा था.
Input- BHUPESH PRATAP
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