अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन लगातार भारत के खिलाफ सख्त बयानबाजी कर रहा है. हाल ही में व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत को सीधे-सीधे चेतावनी दी कि अगर भारत अमेरिका का रणनीतिक साझेदार बनकर रहना चाहता है तो उसे उसी तरह का व्यवहार भी करना होगा. यह बयान ऐसे समय आया है, जब भारत रूस से तेल आयात जारी रखे हुए है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही चीन का दौरा करने वाले हैं.
नवारो के बयान ने दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को और हवा दी है. अमेरिका का आरोप है कि भारत की रूस से तेल खरीद मास्को को यूक्रेन युद्ध जारी रखने के लिए आर्थिक मदद पहुंचा रही है.
रूस से तेल खरीद पर अमेरिकी नाराजगी
फाइनेंशियल टाइम्स में लिखे लेख में पीटर नवारो ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक क्लीयरिंग हाउस की तरह काम कर रहा है और रूस के प्रतिबंधित तेल को प्रोसेस कर महंगे निर्यात में बदलकर मॉस्को को डॉलर उपलब्ध कराता है.
अमेरिकी रणनीतिक हितों के खिलाफ
ट्रंप प्रशासन का मानना है कि भारत का यह कदम अमेरिकी रणनीतिक हितों के खिलाफ है. इसी वजह से डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने पर भारत पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है. इसके बाद भारत पर अमेरिकी कुल टैरिफ बढ़कर 50% तक पहुंच गया है, लेकिन इस बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ट्रंप की मुलाकात में यह खुलासा हुआ कि अमेरिका ने खुद रूस के साथ 20% अधिक व्यापार किया है. इस दोहरे रवैये को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय पहले ही कह चुका है कि भारत को अनुचित तरीके से निशाना बनाया जा रहा है.
चीन से रिश्तों पर अमेरिकी आपत्ति
सिर्फ रूस ही नहीं, अमेरिका को भारत-चीन नजदीकी से भी दिक्कत है. प्रधानमंत्री मोदी इस महीने के अंत में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करने वाले हैं. इसके अलावा चीनी विदेश मंत्री वांग यी भी सीमा विवाद पर बातचीत के लिए भारत दौरे पर हैं. नवारो का आरोप है कि अगर भारत रूस और चीन दोनों से रिश्ते मजबूत करता है तो अमेरिका के लिए भारत को आधुनिक हथियार सौंपना जोखिम भरा हो सकता है. इस बयान से साफ है कि ट्रंप प्रशासन भारत की सामरिक आज़ादी को पसंद नहीं कर रहा.
व्यापार समझौते पर संकट
अमेरिका और भारत के बीच चल रही ट्रेड डील की बातचीत भी इस विवाद की भेंट चढ़ गई है. अमेरिकी ट्रेड टीम, जो 25 से 29 अगस्त को भारत दौरे पर आने वाली थी. फिलहाल टीन ने अपना दौरा स्थगित कर दिया है. इससे यह संकेत मिल रहा है कि न केवल दोनों देशों के बीच तनाव गहराएगा बल्कि व्यापार समझौता भी खटाई में पड़ सकता है. भारत पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ 27 अगस्त से लागू हो रहे हैं और अब राहत मिलने की संभावना बेहद कम है.
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Source: IOCL
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