Delhi News: कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) पहल के तहत अशोक लीलैंड द्वारा निर्मित और उपलब्ध कराई गई, ऐसी ही एक इलेक्ट्रिक बस ओखला डिपो में पहले से ही खड़ी है और जल्द ही चुनिंदा रूटों पर इसका ट्रायल रन शुरू हो सकता है.
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Delhi News: तीन दशक से भी ज्यादा समय के बाद दिल्ली की सड़कों पर एक बार फिर डबल-डेकर बसें दौड़ सकती हैं. इस मामले में सरकार की योजनाओं से वाकिफ कम से कम दो वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली परिवहन निगम (DTC) राजधानी में डबल-डेकर बसें चलाने का परीक्षण करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है.
दिल्ली में शुरू होगा डबल-डेकर बस का ट्रायल
कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) पहल के तहत अशोक लीलैंड द्वारा निर्मित और उपलब्ध कराई गई, ऐसी ही एक इलेक्ट्रिक बस ओखला डिपो में पहले से ही खड़ी है और जल्द ही चुनिंदा रूटों पर इसका ट्रायल रन शुरू हो सकता है.
रूट मैप किया जा रहा तैयार
परिवहन मंत्री पंकज सिंह ने शुक्रवार को पुष्टि की कि सरकार इस बात की जांच कर रही है कि क्या शहर में बसों का सुरक्षित और प्रभावी ढंग से संचालन किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हमारे पास एक बस है, दो और मिल सकती हैं, लेकिन वे अभी चालू नहीं हैं. अधिकारी यह देखने के लिए एक रूट मैप पर काम कर रहे हैं कि क्या दिल्ली में इन बसों को चलाना संभव है. बस की ऊंचाई और वजन को लेकर चिंताएं हैं और दिल्ली के ट्रैफिक में इन्हें चलाना कितना आसान या मुश्किल होगा, इस पर भी चिंताएं हैं. पायलट सर्वे के नतीजों के आधार पर हम आगे बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि अधिकारी नक्शों का अध्ययन कर रहे हैं, पेड़ों की छतरियों को माप रहे हैं और ओवरब्रिजों की ऊंचाई की जांच कर रहे हैं ताकि ऐसा गलियारा ढूंढा जा सके जो ऊपरी डेक को बाधित न करे.
4.75 मीटर ऊंची और 9.8 मीटर लंबी है डबल डेकर बस
डबल-डेकर बस 4.75 मीटर ऊंची और 9.8 मीटर लंबी है. इस बस में ड्राइवर के अलावा 63 से ज्यादा यात्री बैठ सकेंगे, जो शहर की नौ मीटर लंबी देवी बसों की क्षमता से लगभग तीन गुना ज्यादा है. अधिकारियों की मानें तो इस बस में बड़ी संख्या में यात्रियों को ले जाने के लिए यह क्षमता फंयदेमंद होगी, लेकिन बस की ऊंचाई और वजन एक चुनौती है.
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डबल-डेकर बसें कभी दिल्ली में एक परिचित दृश्य थीं, जिन्हें डीटीसी द्वारा ‘सुविधा बसों’ के रूप में चलाया जाता था, जब तक कि 1989 में उन्हें हटा नहीं दिया गया क्योंकि वाहन पुराने हो गए थे और शहर सीएनजी बेड़े में परिवर्तित हो गया था.
डीटीसी अधिकारियों ने बताया कि 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों और फिर 2022 में जी20 शिखर सम्मेलन से पहले इन्हें वापस लाने के प्रयास व्यवहार्यता अध्ययनों में चिंताएँ उठने के बाद सफल नहीं हो पाए. 2011 में तत्कालीन दिल्ली सरकार ने उस समय सक्रिय “हॉप ऑन हॉप ऑफ (होहो)” बस योजना के तहत शहर के पर्यटन मार्गों पर खुली छत वाली डबल डेकर बसों के इस्तेमाल पर भी विचार किया था. होहो बसें लो-फ्लोर AC बसें थीं, जो यात्रियों को शहर के 19 पर्यटन स्थलों तक ले जाती थीं और लोगों को अपनी सुविधानुसार पर्यटन स्थलों पर बस में चढ़ने और उतरने की सुविधा देती थीं.
2022 में कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (CESL) ने दुनियाभर से अधिकारियों और पर्यटकों की आमद की उम्मीद में दिल्ली के लिए 100 डबल डेकर बसों सहित 1,500 इलेक्ट्रिक बसें निर्धारित की थीं. हालांकि, बाद के व्यवहार्यता अध्ययनों ने इस योजना को अव्यावहारिक पाया. वर्तमान में, डीटीसी 3,500 से अधिक इलेक्ट्रिक बसों का संचालन करती है और वर्ष के अंत तक इनके बेड़े की संख्या 6,000 को पार कर जाने की उम्मीद है. डबल-डेकर प्रयोग के साथ-साथ, अधिकारियों ने बताया कि पुनर्जीवित “दिल्ली दर्शन” सेवा के तहत दो नई पर्यटक सर्किट बसें भी शुरू की जाएंगी.
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